स्वास्थ्य

टीबी मुक्त बाँका बनाने का लिया संकल्प, धर्मगुरुओं ने हरसंभव सहयोग का दिया आश्वासन 

– जिला संचारी रोग कार्यालय में धर्म गुरुओं के साथ स्वास्थ्य विभाग ने की बैठक 
– टीबी लाइलाज नहीं, पर समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी, इसलिए लक्षण दिखते ही कराएं जाँच 

बाँका, 22 मार्च-

टीबी मुक्त बाँका निर्माण को लेकर स्थानीय स्वास्थ्य विभाग प्रयासरत है और इसे सार्थक रूप देने के लिए जिले में हर जरूरी पहल भी की जा रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को जिला टीबी कार्यालय में एक बैठक आयोजित की गई। स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित इस बैठक में पंडित और मौलवी शामिल हुए। बैठक के दौरान शुरू होने वाले अभियान की सफलता को लेकर विस्तृत चर्चा की गई और मौजूद धर्मगुरुओं से सहयोग करने की अपील भी की गई। जिसपर सभी पंडित और मौलवी ने एक स्वर में हरसंभव सकारात्मक सहयोग करने का आश्वासन दिया। साथ ही मौजूद गणमान्यों को चिकित्सकों द्वारा टीबी के लक्षण, कारण, बचाव एवं उपचार की भी विस्तृत जानकारी दी गई। इस मौके पर जिला संचारी रोग पदाधिकारी डाॅ उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा, डाॅ सोहैल अंजुम, गणेश झा, अनुज कुमार आदि मौजूद थे। 

– टीबी मरीजों की सूचना देने पर पंडित और मौलवी को भी मिलेगी प्रोत्साहन राशि : 
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डाॅ उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा ने बताया, अब टीबी मरीजों की सूचना देने पर ना सिर्फ स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। बल्कि, पंडित और मौलवी भी सूचना उपलब्ध कराऐंगे तो उन्हें भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसलिए, मैं जिले के तमाम धर्मगुरुओं से अपील करता हूँ कि टीबी मुक्त समाज और देश निर्माण के लिए आप भी आगे आएं। वहीं, उन्होंने बताया, बैठक के दौरान मौजूद सभी गणमान्यों को टीबी मरीज मिलने पर उसे जाँच के लिए कहाँ भेजना है, पहले किसको जानकारी देना सहित तमाम जानकारियाँ दी गई। ताकि वे सुविधाजनक तरीके से मरीजों का इलाज शुरू करवाने में जरूरी मदद कर सकें और मरीजों का समय पर इलाज शुरू हो सके। 

जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय कहते हैं कि टीबी को लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। अभी एक महीने तक इस पर विशेष तौर फोकस किया गया है। इसमें आशा कार्यकर्ता टीबी मरीजों को ढूंढ रही हैं। क्षेत्र में भ्रमण के दौरान जिस किसी में टीबी का लक्षण दिखाई पड़ता है, उसे आशा कार्यकर्ता नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच के लिए ले जाती हैं। टीबी मरीजों का न सिर्फ निःशुल्क इलाज कराया जाता है, बल्कि उसे 500 रुपये प्रतिमाह पौष्टिक भोजन लेने के लिए राशि भी मिलती है। इसके साथ-साथ दवा भी मुफ्त में मिलती है। वहीं आशा कार्यकर्ताओं को एक टीबी मरीज ढूंढने पर 500 रुपये भी दिया जाता है। सिर्फ आशा ही नहीं, बल्कि कोई भी व्यक्ति अगर टीबी मरीज की सूचना देते हैं तो उन्हें 500 रुपये इनाम के तौर पर दिया जाता है।
एमओटीसी डाॅ सोहैल अंजुम कहते हैं कि अगर टीबी का हल्का सा भी लक्षण दिखे तो जांच कराने स्वास्थ्य केंद्र जाएं। जांच में पुष्टि हो जाने के बाद आपको मुफ्त में दवा मिलेगी। साथ में भोजन के लिए भी पैसे मिलेंगे। जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन में जनभागीदारी बहुत ही जरूरी है। अगर लोग सहयोग करें तो यह बीमारी समय से पहले खत्म हो सकती है। 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त कराया जाएगा। इसे लेकर विभाग प्रतिबद्ध है। 
एक टीबी मरीज कई लोगों को कर सकता है संक्रमित: डॉ. अंजुम ने कहा कि टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। इसलिए लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं। इलाज नहीं कराने पर कई लोग संक्रमित हो सकते हैं। एक टीबी मरीज के जरिए कई लोगों में इसका प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा। इसलिए हल्का सा लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं और जांच में पुष्टि हो जाती है तो इलाज कराएं।
छुआछूत की बीमारी नहीं रही टीबी: डॉ. अंजुम ने कहा कि टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसे लेकर लोगों को अपना भ्रम तोड़ना होगा। टीबी का मरीज दिखे तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। ऐसा करने से कई और लोग भी इस अभियान में जुड़ेंगे और धीरे-धीरे टीबी समाप्त हो जाएगा।

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