राज्य

दस्त से बचाव के लिए अब 15 जुलाई तक खिलाई जाएगी जिंक की गोली

–   दो करोड़ 5 लाख से ज्यादा ओआरएस पैकेट वितरण का लक्ष्य
–  करीब एक करोड़ 84 लाख बच्चों को मिलेगा लाभ
–  26 जिलों में बढ़ाई गई दस्त नियंत्रण पखवाड़ा की अवधि

पटना-
प्रदेश में डायरिया के कारण होने वाले शिशु मृत्युदर को शून्य करने के लिए 1 जून से 30 जून तक दो पखवाड़े में दस्त नियंत्रण पखवाड़े का आयोजन किया गया था। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने प्रदेश के 26 जिलों के सिविल सर्जन को एक पत्र जारी किया है, जिसमें दस्त नियंत्रण पखवाड़े की अवधि में विस्तार करते हुए इसे 15 जुलाई तक जारी रखने का निर्देश दिया है। ताकि शत प्रतिशत लक्ष्य की पूर्ति की जा सके।

डायरिया से बच्चों में होने वाली मौत को रोकना जरूरी:

डब्ल्यूएचओ के अनुसार पांच वर्ष तक के बच्चों में डायरिया मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारक है। पूरे विश्व में करीब अकेले 5 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत सिर्फ डायरिया से होती है। वहीं सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार विश्व में प्रत्येक 9 बच्चों में से एक बच्चे की मौत डायरिया से ही होती है। साथ ही एचआईवी ग्रस्त बच्चों में डायरिया और जानलेवा हो जाता है। सीडीसी के अनुसार डायरिया ग्रस्त बच्चों में मृत्यु दर एचआईवी के बिना ही 11 गुना ज्यादा होती है। इसके अलावा एक सुखद तथ्य भी डब्ल्यूएचओ और सीडीसी के द्वारा बताया गया है कि डायरिया से बचाव काफी आसान है। रोटावायरस वैक्सीन और सुरक्षित जल, स्तनपान और स्वच्छता के द्वारा इसे काफी कम किया जा सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रत्येक साल पांच वर्ष के उम्र तक के बच्चों के बीच दस्त नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाता है।

इस पखवाड़े के दौरान जीरो से पांच साल तक के बच्चों में ओआरएस पैकेट व जिंक के सिरप या टेबलेट का वितरण कर उनके इस्तेमाल के तरीकों को बताया जाएगा। पूरे प्रदेश में दस्त नियंत्रण पखवाड़े से लाभांवित होने वाले बच्चों की संख्या करीब 1 करोड़ 84 लाख से ज्यादा है। वहीं इनमें 2 करोड़ 5 लाख 56 हजार 957 ओआरएस के पैकेट तथा 80 लाख से ज्यादा जिंक के टैबलेट का वितरण का लक्ष्य रखा गया है।

छोटे गांव व बस्तियां भी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में
दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान समस्त पांच वर्ष की उम्र के बच्चों के साथ पांच वर्ष की उम्र वाले वैसे बच्चे जिन्हें पखवाड़े के दौरान दस्त रोग हुआ हो लक्षित लाभार्थी की श्रेणी में आएगें। वहीं जिन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गयी है उनमें शहरी झुग्गी झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, छोटे गांव, बस्ती के साथ वैसे क्षेत्र जहां पहले के वर्षों में दस्त के मामले ज्यादा आए हो या जहां साफ सफाई व साफ पानी की आपूर्ति एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो।

डायरिया में जीवन रक्षक का काम करता है ओआरएस और जिंक
राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि डायरिया के दौरान ओआरएस और जिंक का प्रयोग जीवन रक्षक का कार्य करता है। ऐसी स्थिति में प्रत्येक बच्चे को एक एक पैकेट ओआरएस और जिंक के टैबलेट का वितरण किया जाएगा। वहीं ओआरएस को स्वास्थ्यकर्मी बच्चों के अभिभावक को उसके बनाने की विधि भी समझाएगें।
इन जिलों में दस्त नियंत्रण पखवाड़ा की बढ़ी है अवधि
जिन 26 जिलों में दस्त नियंत्रण पखवाड़ा की अवधि 15 जुलाई तक की गयी है उसमें गोपालगंज, सहरसा, मधुबनी, शिवहर, जहानाबाद, अरवल, शेखपुरा, बेतिया, दरभंगा, कैमूर, वैशाली, नालन्दा, खगड़िया, बांका, भागलपुर, कटिहार, लखीसराय, भोजपुर, बक्सर, पटना, नवादा, गया, रोहतास, औरंगाबाद, जमुई और मुंगेर शामिल है।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button