स्वास्थ्य

समय पर पहचान होने से कालाजार पीड़ित व्यक्ति जल्द हो जाता है स्वस्थ्य 

-कालाजार पीड़ित आदमी का लिवर  और स्पीलिन हो जाता है बड़ा
-भूख नहीं लगना, पेट फूलना, थकान, बुखार आना  कालाजार के हैं लक्षण

भागलपुर-

कालाजार एक क्रॉनिक बीमारी है जो शरीर में धीरे-धीरे पनपती है। इसका पता नहीं चलता है और आदमी धीरे-धीर कमजोर होने लगता है। इसमें हीमोग्लोबिन कम हो जाता है। पेट फूलने लगता है। इसका कारण यह है कि कालाजार पीड़ित आदमी का लिवर  और स्पीलिन काफी बड़ा हो जाता है। खासकर स्पीलिन काफी बड़ा हो जाता है। अगर यह बीमारी समय से पकड़ में आ जाए तो फिर लोग आसानी से इससे उबर जाते हैं। ऐसा कहना है मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. असीम कुमार दास का। उनका कहना है कि कालाजार एक वेक्टर बोर्न डिजीज है, जो बालूमक्खी के काटने से होता है। जब बालूमक्खी किसी कालाजार के मरीज को डंक मारता है तो उसमें जो परजीवी है, वह बालूमक्खी के अंदर चला जाता है। बालूमक्खी के अंदर परजीवी कई गुना अधिक बढ़ जाता है। इसके बाद जब वही बालूमक्खी किसी सामान्य व्यक्ति को डंक मारता है तो वह कालाजार से पीड़ित हो जाता है। डॉ. असीम कुमार दास कहते हैं कि भूख नहीं लगना, पेट फूल जाना, थकान, बुखार आना, खून की कमी आदि कालाजार के लक्षण हैं। जब किसी आदमी में इस तरहे के लक्षण दिखाई दे तो उसकी तत्काल जांच करानी चाहिए। कालाजार की पहचान के लिए कुछ जांच जरूरी है। एंटीबॉडी टेस्ट से यह बीमारी कंफर्म हो जाता है। इसके इलाज को लेकर एक महीने तक इंजेक्शन का कोर्स है। हालांकि कुछ नए तरीके भी आए हैं, जो मरीज को जल्द स्वस्थ कर देता है।
कालाजार की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्टः कालाजार की रोकथाम व इसके सौ फीसदी उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। प्रभावित प्रखंडों में छिड़काव का काम लगातार करवाया जाता है। इस बीमारी से बचाव के लिए घर के आसपास जलजमाव नहीं होने दें। यदि जलजमाव की स्थिति है तो उसमें किरासन तेल डालें। सोते समय मच्छरदानी लगाएं। साथ ही बच्चों को पूरा कपड़ा पहनायें व शरीर पर मच्छर रोधी क्रीम लगाएं। कालाजार के खतरे को देखते हुए अपने घरों की भीतरी दीवारों और बथानों में कीटनाशक का छिड़काव करने व आसपास के हिस्से को सूखा व स्वच्छ रखने की अपील उन्होंने की।
कालाजार की ऐसे करें पहचान: कालाजार के इलाज में लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है। यह बीमारी लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होती है। कालाजार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने वाली बीमारी है। यदि व्यक्ति को दो सप्ताह से बुखार हफ्ते से बुखार और तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो तो यह कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। साथ ही मरीज को भूख न लगने, कमजोरी और वजन में कमी की शिकायत होती है। यदि इलाज में देरी होता है तो हाथ, पैर व पेट की त्वचा काली हो जाती है। बाल व त्वचा की  परत भी सूख कर झड़ते हैं। कालाजार के लक्षणों के दिखने पर रोगी को तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल या पीएचसी भेजा जाना चाहिए।

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