स्वास्थ्य

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व आश्वासन और एनीमियामुक्त भारत कार्यक्रम के प्रति जागरूकता को ले उन्मुखीकरण कार्यशाला

– सदर अस्पताल के एएनएम स्कूल सभागार में उन्मुखीकरण कार्यशाला का सिविल सर्जन ने किया उद्घाटन

– उन्मुखीकरण कार्यशाला में स्वास्थ्य, शिक्षा और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी हुए शामिल

मुंगेर, 16 दिसम्बर । प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) और एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के प्रति जागरूकता को ले गुरुवार को सदर अस्पताल परिसर स्थित एएनएम स्कूल सभागार में उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गयी। उन्मुखीकरण कार्यशाला का उद्घाटन मुंगेर के सिविल सर्जन डॉ. हरेन्द्र आलोक, डीपीएम नसीम रजि सिहित कई पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर तीन विभाग शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग के पदाधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे। जिला स्वास्थ्य समिति और सदर अस्पताल मुंगेर में पदस्थापित पदाधिकारी, डॉक्टर, एएनएम/जीएनएम , जिला के सभी सीएचसी/पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा के अलावा शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि, समाज कल्याण विभाग के तहत सभी प्रखण्डों में कार्यरत सीडीपीओ और एलएस आदि मौजूद थे।

उन्मुखीकरण कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ. हरेन्द्र आलोक ने कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व आश्वासन कार्यक्रम 10 अक्टूबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिला के रजिस्ट्रेशन से लेकर गुणवत्तापूर्ण सुरक्षित संस्थागत प्रसव, छह महीने तक मां और नवजात शिशु के स्वास्थ्य की सही देखभाल को सुनिश्चित करना है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिला की सम्मानपूर्ण तरीके से पूरी तरीके से निःशुल्क प्रसव सुनिश्चित करने के साथ ही अगले छह महीने तक मां और नवजात शिशु को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। ताकि मातृ- शिशु मृत्यु को समाप्त करने के साथ ही उन्हें सभी स्वास्थ्य संस्थानों में बेहतर और सकारात्मक अनुभव प्रदान करना है।

उन्मुखीकरण कार्यशाला में शामिल पदाधिकारियों और कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए डा नीलू ने बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत 100 परसेंट मैटरनल और चाइल्ड डेथ की रिपोर्टिंग और रिव्यु को सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही सभी गर्भवती महिलाओं की 4 एएनसी जांच और 6 एचबीएनसी विजिट को सुनिश्चित करने के साथ -साथ सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर्स और नर्स की उपलब्धता भी सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही प्रसव बाद मां को तत्काल स्तनपान और नियमित टीकाकरण के लिए भी प्रेरित करना है।

एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिला स्वास्थ्य समिति के जिला सामुदायिक उत्प्रेरक निखिल राज ने बताया कि गर्भवती महिलाओं सहित बच्चों एवं अन्य लोगों में खून की कमी या खून में हीमोग्लोबिन कि कमी होने के कारण एनीमिया की स्थिति पैदा हो जाती है। इसकी कमी से गर्भवती महिलाओं की मृत्यु तक हो जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए देश भर में एनीमिया मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ- साथ शिक्षा और समाज कल्याण विभाग के कार्यरत समेकित बाल विकास निदेशालय (आईसीडीएस) के अधिकारी और कर्मचारी के रूप में आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। इसी को ले गुरुवार को एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया है जिसमें सभी तीनों विभाग के पदाधिकारी और कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर आंगनबाड़ी सेविका के द्वारा 5 साल से कम उम्र के बच्चों को आयरन की सिरप पिलायी जाती है। वहीं 5 से 9 साल के बच्चों को गुलाबी टैबलेट और 9 से 18 साल के बच्चों को नीली टैबलेट स्कूलों में शिक्षकों की निगरानी में खिलाई जाती है। इसके साथ ही सभी स्वास्थ्य संस्थानों में एएनएम और आशा जबकि घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा गर्भवती महिलओं एवं अन्य लोगों को आयरन की लाल टैबलेट खिलाई जाती है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को दूर करते हुए मैटरनल डेथ को समाप्त करना है। इसके साथ बच्चे एवं अन्य लोगों को एनीमिया से बचाना है।

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