स्वास्थ्य

परिवार नियोजन पखवाड़ा को लेकर प्रचार-प्रसार तेज

-जिले के सभी प्रखंडों में चल रहा प्रचार अभियान, आज आखिरी दिन
-4 दिसंबर तक चलेगा परिवार नियोजन पखवाड़ा, अस्पतालों में हो रही नसबंदी
भागलपुर, 24 नवंबर।
परिवार नियोजन पखवाड़ा को लेकर जिले में प्रचार-प्रसार अभियान तेज कर दिया गया है। ई-रिक्शा के माध्यम से गांव-गांव तक पहुंचकर लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक किया जा रहा है। परिवार नियोजन पखवाड़ा 4 दिसंबर तक चलेगा। इसे लेकर ई-रिक्शा से प्रचार-प्रसार अभियान गुरुवार तक चलेगा। प्रचार की शुरुआत रविवार को हुई है। इसके तहत गांव के लोगों को परिवार नियोजन के बारे में बताया जा रहा है। इसके क्या फायदे हैं, इसकी जानकारी दी जा रही है। साथ ही परिवार नियोजन में अस्थाई संसाधनों के इस्तेमाल के बारे में लोगों को बताया जा रहा है।
सिविल सर्जन डॉ. उमेश कुमार शर्मा ने बताया कि परिवार नियोजन पखवाड़ा के तहत जिले के सभी अस्पतालों में बंध्याकरण की व्यवस्था की गई है। हालांकि सभी अस्पतालों में सालोंभर यह सुविधा रहती है और लोग आकर नसबंदी करवाते भी हैं। अभी परिवार नियोजन पखवाड़ा को लेकर एक अभियान के तहत यह काम किया जा रहा है। पखवाड़ा शुरू होने से पहले आशा कार्यकर्ताओं ने 15 से 21 नवंबर तक क्षेत्र में जाकर योग्य दंपतियों से संपर्क कर उनकी एक सूची बनाई है। सूची के अनुसार जिसे काउंसिलिंग की जरूरत है, उसकी काउंसिलिंग की जा रही है। जिसे नसबंदी करवानी है, उसकी नसबंदी की जा रही है।
अस्थाई सामग्री का भी हो रहा वितरणः परिवार नियोजन में अस्थाई सामग्री की बहुत अच्छी भूमिका रहती है। इसलिए लोगों में इसका वितरण किया जा रहा है। केयर इंडिया के परिवार नियोजन के जिला समन्वय जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रचार-प्रसार के साथ ही लोगों को अस्थाई संसाधन भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। सभी प्रखंडों में लोगों को कंडोम और छाया उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसके साथ लोगों को बेझिझक इसके इश्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है। लोगों को समझाया जा रहा है कि परिवार नियोजन के लिए अस्थाई संसाधनों के इश्तेमाल से किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इसलिए परिवार नियोजन के लिए इसका इस्तेमाल लोग बिना डरे हुए करें।
पुरुष नसबंदी पर फोकसः केयर इंडिया के परिवार नियोजन के जिला समन्वयक आलोक कुमार कहते हैं कि इस बार परिवार नियोजन पखवाड़ा में पुरुष नसबंदी पर फोकस किया जा रहा है। वैसे तो पुरुषों के साथ महिलाओं की भी नसबंदी की जा रही है, लेकिन इस बार प्रयास हो रहा कि अधिक से अधिक पुरुषों की नसबंदी भी हो। लोगों को इसे लेकर जागरूक भी किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में पुरुष नसबंदी को लेकर थोड़ी झिझक है, जिसे जागरूकता कार्य़क्रम के तहत दूर किया जा रहा है। उन्हें समझाया जा रहा है कि पुरुष नसबंदी महिलाओं के बंध्याकरण के मुकाबले ज्यादा आसान है। इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है, इसलिए बिना किसी संकोच के पुरुष नसबंदी कराने के लिए आगे आएं।

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