युवा
काव्य कुसुम ऋंखला में आज शायर शिवकुमार बिलगरामी के मुक्तक
अपनों से न गैरों से कोई भी गिला रखना
आंखों को खुला रखना होंठों को सिला रखना
मासूम बहुत हो तुम दुनिया की निगाहों में
तकलीफ़ उठाकर भी चेहरे को खिला रखना
अपनों से न गैरों से कोई भी गिला रखना
आंखों को खुला रखना होंठों को सिला रखना
मासूम बहुत हो तुम दुनिया की निगाहों में
तकलीफ़ उठाकर भी चेहरे को खिला रखना