स्वास्थ्य

निजी अस्पताल से निराश युवक सरकारी अस्पताल में इलाज के बाद हुआ ठीक

-धोरैया प्रखंड के कुसमी गांव के पप्पू कुमार सिंह टीबी को मात देकर हो गए स्वस्थ
-सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की मुफ्त में मिलीं सुविधाएं

बांका, 29 जून-

धोरैया प्रखंड के कुसमी गांव के रहने वाले युवक पप्पू कुमार सिंह 2018 में टीबी की चपेट में आ गए थे। पहले तो वह इलाज कराने के लिए निजी अस्पताल गए, लेकिन वहां से निराशा ही हाथ लगी। आखिरकार 2020 में इलाज कराने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र आए। यहां पर उनकी मुलाकात जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय से हुई। राजदेव राय ने युवक का सही मार्गदर्शन किया और डीपीएस गणेश झा से मुलाकात करवाई। डीपीएस गणेश झा की निगरानी में पप्पू कुमार सिंह का इलाज हुआ और आज वह टीबी को मात देकर स्वस्थ हो चुके हैं।
पप्पू कुमार सिंह कहते हैं कि पहले मुझे लगा कि निजी अस्पताल में बेहतर इलाज होता होगा, इसलिए मैं निजी अस्पताल गया, लेकिन वहां पर दो सालों तक इलाज करवाया। इसके बावजूद मैं ठीक नहीं हो पाया। इसके बाद मैं जिला यक्ष्मा केंद्र आया। यहां पर जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय से मेरी मुलाकात हुई। उनसे मिलने के बाद लगा जैसे किसी फरिश्ते से मुलाकात हुई हो। उन्होंने मुझे सही तरीके से समझाया और बताया कि टीबी का इलाज कितना आसान है। फिर उन्होंने मेरी मुलाकात डीपीएस गणेश झा से करवाई। 11 महीने तक इलाज के बाद मैं पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। अब मैं दूसरे लोगों को भी टीबी के इलाज के लिए सरकारी अस्पताल जाने की सलाह देता हूं। साथ में लोगों को टीबी के प्रति जागारूक भी करता हूं।
जांच-इलाज से लेकर दवा तक की सुविधा मुफ्तः पप्पू कुमार सिंह कहते हैं कि इलाज के दौरान मुझे कोई भी फीस नहीं लगा। जांच से लेकर दवा तक की सुविधा मुफ्त में मिली। साथ ही जब तक इलाज चला पांच सौ रुपये प्रति महीने मुझे पौष्टिक आहार के लिए  भी मिली। मैंने नियमित तौर पर दवा का सेवन किया। समय-समय पर अस्पताल आकर जांच करवाई। जब तक टीबी से पूरी तरह उबर नहीं सका, तब तक दवा का सेवन करता रहा। इसका परिणाम यह है कि आज में ठीक हूं। जिला यक्ष्मा केंद्र में जांच के साथ दवा भी मुफ्त में मुझे मिली।
सरकार टीबी उन्मूलन के प्रति प्रतिबद्धः जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय कहते हैं कि पप्पू कुमार सिंह जब जिला यक्ष्मा केंद्र आए तो उनके मन में तमाम तरह की आशंकाएं थीं, जिसे मैंने समझ लिया। इसके बाद मैंने उन्हें टीबी के इलाज के बारे में समझाया। उन्हें बताया कि टीबी आसानी से ठीक होने वाली बीमारी है। सरकार टीबी उन्मूलन के प्रति प्रतिबद्ध है और यहां पर उसके इलाज के लिए तमाम सुविधाएं हैं। इसके बाद उनके दिमाग से संदेह के बादल छंट गए और उन्होंने दवा का सेवन शुरू किया। आज वे टीबी को मात दे चुके हैं और स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।

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