देश

कृष्ण मोहन झा: पत्रकारिता से राष्ट्रसेवा तक का प्रेरणादायी सफर

-शशिकांत मिश्र


मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले मंडला में 21 फरवरी 1976 को मालगुजार पंडित बेचूलाल झा परिवार में श्री कृष्णमोहन झा का जन्म हुआ, तो उत्सव सा माहौल था ऐसा हो भी क्यों नहीं मालगुजार घराने की इस नयी पीढ़ी के प्रथम पुत्ररत्न थे, कृष्णमोहन।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा मंडला में ही हुई। विद्यार्थी जीवन से ही कुछ अलग करने की इच्छा शक्ति के चलते मालगुजार परिवार के इस लाडले ने समाज सेवा, संघीय विचार धारा, नर्मदा शुद्धिकरण और क्रीड़ा के क्षेत्र में प्रतिबद्धता दिखाना शुरू कर दिया जिसे देखकर परिवार को भान होने लगा कि उनका लाडला पुश्तैनी व्यवस्था से हटकर कुछ अलग करेगा।
बाल्यकाल में संघीय विचारधारा के प्रभाव का परिणाम था कि कृष्णमोहन ने शारीरिक गतिविधियों के साथ पुस्तकों से दोस्ती कर ली और अपना समय खेल मैदान और पुस्तकालय में देना शुरू कर दिया और यही से उन्होंने स्थानीय अखबारों में लिखना प्रारंभ कर दिया। स्कूली शिक्षा खत्म होते ही कृष्णमोहन अखबारों में नियमित कालम लिखने लगे वहीं दूसरी ओर नर्मदा शुद्धिकरण आंदोलन से जुडकर अपनी अलग पहिचान भी बना ली। स्नातक की पढ़ाई पूरी होते ही उन्होंने अखबारों के लिए रिपोर्टर बतौर काम करना प्रारंभ कर दिया।उनकी नवाचार की सोच का ही परिणाम था कि उन्होंने उस समय केबल टीवी पर स्थानीय समाचार की शुरुआत की जब राष्ट्रीय स्तर पर दूरदर्शन ही स्थापित समाचार चेनल था और आजतक जैसा समाचार चेनल भी
दूरदर्शन पर प्रसारित होता था।इस स्थानीय न्यूज़ चैनल को लोकप्रिय और स्थायित्व प्रदान कर कृष्णमोहन ने प्रदेश की राजधानी भोपाल की ओर कूच किया और सेटेलाइट चैनल नंबर वन के स्टेट हैड बतौर अपनी नयी पारी की शुरुआत की। बिना किसी गाडफादर के भोपाल जैसे अनजान महानगर में अपनी ठोस पारी का शुभारंभ किया और जल्दी ही अपने को स्थापित कर लिया। प्रारंभिक चरण में ही अपने कुशल नेतृत्व क्षमता के बल पर न केवल चैनल नंबर वन को प्रदेश के हरेक जिलों में लोकप्रियता और विश्वसनीयता प्रदान की। इसके साथ ही पत्रकार संगठन को मजबूत करने की सोच के साथ आईआफजेडब्लू संगठन के राष्ट्रीय मुखिया के तौर पर पत्रकार साथियों के हितों की लड़ाई लड़ी और पत्रकारों की एकजुटता का प्रयास किया।
इस दौरान उन्होंने समसामयिक विषयों सहित राष्ट्रीय मुद्दों पर अनेक आलेख लिखे जो देश के विभिन्न नामचीन अखबारों में प्रकाशित हुए, ये सिलसिला आज भी जारी है। कृष्णमोहन न केवल एक सफल पत्रकार हैं वरन् एक मंजे हुए लेखक भी है उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर लिखी पुस्तकों ने खूब ख्याति बटोरी।
मिलनसार व्यक्तित्व के धनी होने के कारण ही जहाँ आमलोगों से आत्मीय संबंध है तो वही सत्ता पक्ष।और विपक्ष के राजनेताओं से भी व्यक्तिगत संबंध है । इन्हीं संबंधों की कड़ी से मैं भी बंधा हुआ हूँ , कृष्णमोहन उम्र में मुझसे काफी छोटे हैं लेकिन व्यक्तित्व और कृतित्व के मामले मे उनका कद विशाल है। हमने मंडला में पत्रकारिता के क्षेत्र में साथ काम किया इस दौरान मुझे आपसे काफी कुछ सीखने को मिला जिससे मैं कभी उऋण नहीं हो सकता। आज राजनैतिक और सामाजिक विचारक, लेखक, पत्रकार, समालोचक का जन्मदिन है जिन्होंने मुझे अग्रज सा सम्मान दिया उनके प्रति मैं कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए शुभकामनाएं और शुभाशीष देता हूँ एवं उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।

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