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दरभंगा के 10 युवाओं के आईटी टीम वाली मिथिला स्टैक को मिला है पहली बार विदेश से सॉफ््टवेयर निर्यात का काम

मिथिला स्टैक की स्थापना अक्टूबर 2023 में हुई, 2024 में मिला है पहला एक्सपोर्ट प्रोजेक्ट

नई दिल्ली/दरभंगा-

मिथिला के युवाओं और अर्थव्यवस्था के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आया है मिथिला स्टैक। आईटी प्रोफेशनल्स और मिथिला में स्टार्टअप्स को आगे बढ़ाने के लिए बीते कुछ वर्षों से देश-विदेश में आईटी प्रोफेशनल्स के रूप में काम करने वाले मिथिला एंजेल नेटवर्क के संस्थापक श्री अरविंद झा ने मिथिला स्टैक की स्थापना कर मिथिला से लाखों की संख्या में पलायन कर चुके युवा आइटी प्रतिभाओं को एक नया उदाहरण दिलाया है और साथ ही घर वापसी का आह्वान भी किया है। महज 10 आईटी प्रोफेशनल्स वाली टीम ने नौ महीनों में ही अपना पहला निर्यात का कॉंट्रैक्ट जीता है। इससे पहले भी कुछ कंपनियों ने इन्हें वेबसाइट, मोबाइल ऐप, वेब ऐप का काम दिया था और इन लोगों ने वैश्विक पैमानों पर खरा उतरते हुए उसे पूरा किया था।

श्री अरविंद झा ने बताया कि अक्टूबर 2023 में मिथिला स्टैक नाम की कंपनी की शुरुआत की गई। इसके पीछे मंशा यही थी कि दरभंगा और आसपास के जिलों में जो युवाओं की नैसर्गिक प्रतिभा है, उसे प्रशिषण देकर वैश्विक स्तर पर लाएं ताकि उन्हें IT क्षेत्र में नौकरी किल सके और ख़ास दरभंगा में IT हब बन सके। “शुरुआती दौर में इंजीनियर कार्तिक झा का साथ मिला और हमने आगे बढ़ने का काम किया। श्री कार्तिक ने पहले ही हेल्थकेयर के क्षेत्र में अपना एक र्स्टाटअप शुरू किया हुआ था। वर्तमान में 10 आईटी एक्सपर्ट की एक टीम है, जो मिलकर काम कर रही है”। श्री अरविंद झा ने बताया कि “पहले हमारी टीम को कुछ कुछ छोटा-मोटा काम मिलता रहा, फिर DevOps ऑटोमेशन का एक बढ़िया काम मिला। अब हमें इस बात की बेहद खुशी है कि हमने विदेश से एक विश्व स्तरीय काम लिया है” ।

एक सवाल के जवाब में श्री अरविंद झा ने बताया कि हमारी कोशिश है कि इस साल के अंत तक हमारे साथ दरभंगा में २0 प्रोफेशनल्स हों। वर्ष 2025 तक मिथिला से हमें 50+ लोगों की अपेक्षा है। जिस प्रकार से हमें लोगों खासकर युवाओं का और विदेशी कंपनियों से रेस्पांस मिल रहा है, उसके आधार पर हम उम्मीद कर सकते हैं कि हम 300 से 500 आईटी प्रोफेशनल्स के साथ दरंभगा में पाँच साल में होंगे। मिथिला के युवाओं को जब दरभंगा में ही काम मिलेगा, दरभंगा बनेगा नया आइटी हब तो उन्हें अपने माता-पिता से दूर गुरुग्राम या बेंगलुरु में नहीं रहना होगा।

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