स्वास्थ्य

रूसी वैक्सीन की डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के बाद अब कैडिला हेल्थकेयर से डील की चर्चा

डॉ. रेड्डीज ने रूसी वैक्सीन SPUTNIK V के लिए रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड से हुई डील से की है। साथ ही जल्द से जल्द वह इसके फेज-3 ट्रायल्स के लिए आवेदन करेगी। ऐसे में यह वैक्सीन हमें कब तक मिलेगी, कहना मुश्किल है।

भारत की फार्मास्यूटिकल्स कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल) ने 16 सितंबर को घोषणा की कि वह कोविड-19 को रोकने के लिए रूस में विकसित और मंजूर SPUTNIK V के 10 करोड़ डोज भारत में लाएगा। इसके पहले आवश्यक रेगुलेटरी क्लीयरेंस लेकर फेज-3 के ह्यूमन ट्रायल्स शुरू करेगा। साफ है कि अनुमति मिलने के बाद अब ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड के साथ SPUTNIK V के अंतिम फेज के ट्रायल्स भी हमारे यहां शुरू होंगे। अब खबरें यह भी आ रही है कि डॉ. रेड्डीज के साथ-साथ गुजराती कंपनी कैडिला हेल्थकेयर की भी रूसी संगठन से बात चल रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो यही बना हुआ है कि आखिर कोरोनावायरस से निजात कब मिलेगी? हमारे देश में वैक्सीन कब उपलब्ध होगा?

डॉ. रेड्डीज ने रूसी वैक्सीन SPUTNIK V के लिए रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड से हुई डील से की है। साथ ही जल्द से जल्द वह इसके फेज-3 ट्रायल्स के लिए आवेदन करेगी। ऐसे में यह वैक्सीन हमें कब तक मिलेगी, कहना मुश्किल है।
इस समय ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के कोवीशील्ड के भी फेज-2 और फेज-3 ट्रायल्स भारत में चल रहे हैं। उसके शुरुआती नतीजे भी एक-दो महीने में सामने आ सकते हैं। उसके आधार पर ही भारतीय ड्रग रेगुलेटर कोई फैसला लेगा। हो सकता है कि इस साल के अंत तक फैसला हो जाए।
खबर यह भी है कि रूसी संगठन आरडीआईएफ कम से कम चार भारतीय ड्रगमेकर्स से डील करना चाहता है। डॉ. रेड्डीज के बाद उसकी बात अहमदाबाद की जायडस कैडिला से भी हो रही है। इसका उद्देश्य वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाना है। गुजरात की कंपनी की बातचीत एडवांस स्टेज में पहुंच गई है।
इन डील्स और खबरों का मतलब यह है कि रूसी वैक्सीन का उत्पादन बड़े पैमाने पर भारत में होने वाला है। आईसीएमआर पहले ही संकेत दे चुका है कि हाई-रिस्क ग्रुप्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए वैक्सीन को जल्दी अप्रूवल दे सकता है। वैक्सीन कब उपलब्ध होगा, यह अप्रूवल पर निर्भर करेगा।
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने संसद में कहा है कि सभी विकल्प खुले हुए हैं। भारत में अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन मिलने लगेगी। एक्सपर्ट ग्रुप ने डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर एडवांस प्लानिंग की है। इससे पहले भी हर्षवर्धन ने दोहराया था कि 2021 की पहली तिमाही यानी मार्च तक वैक्सीन मिलेगी।
क्या रूसी वैक्सीन पर भरोसा कर सकते हैं?

जब तक रूसी वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स का डेटा सामने नहीं आता उसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के कोवीशील्ड को अब तक सबसे सुरक्षित माना जा रहा था। लेकिन ब्रिटेन में एक महिला की तबियत खराब होने के बाद उस पर भी संदेह उठ रहा है।
रूस के ही स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने कहा है कि रूस के सात में से एक यानी कुल 14% कोविड वैक्सीन वॉलेंटियर में साइड इफेक्ट्स देखने को मिल रहे हैं। उन्हें कमजोरी, मसल पेन की समस्या देखने को मिली है। यह दूसरे दिन खत्म हो जाती है। यह साइड इफेक्ट्स प्रेडिक्टेबल है।
लैंसेट में प्रकाशित प्राथमिक नतीजों के मुताबिक वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभाव भी है। सबसे ज्यादा 58% वॉलेंटियर ने इंजेक्शन साइट पर दर्द, 50% ने बुखार, 28% ने कमजोरी और 24% ने मांसपेशियों के दर्द की समस्या बताई थी। यानी, रूसी वैक्सीन भी साइड इफेक्ट्स के बिना नहीं आने वाला।
ट्रम्प ने कहा- अक्टूबर से अमेरिका में मिलने लगेगी वैक्सीन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि अमेरिका में अक्टूबर में वैक्सीन मिलने लगेगी। 2020 के अंत तक 10 करोड़ डोज डिस्ट्रिब्यूट कर दिए जाएंगे। इसके लिए ड्रग रेगुलेटर के ग्रीन सिग्नल्स का इंतजार है। वहीं, डेमोक्रेट्स का आरोप है कि ट्रम्प के बयान ड्रग रेगुलेटर पर दबाव बना रहे हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि भले ही ट्रम्प अक्टूबर में वैक्सीन होने का दावा कर रहे हैं, वैज्ञानिक, कंपनियां और फेडरल अधिकारी दावा कर रहे हैं कि वैक्सीन तो अगले साल ही मिलेगी। अमेरिकी में करीब दो लाख लोगों की मौत कोविड-19 की वजह से हो चुकी है। इस वजह से यह एक बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है।
अब तक क्या है वैक्सीन की स्थिति?

अब तक रूस, चीन और यूएई ही ऐसे देश हैं, जो अपने देशों में विकसित हो रहे वैक्सीन को फेज-3 के ट्रायल्स के नतीजों के आने से पहले ही मंजूरी दे चुके हैं। रूस ने तो हाई-रिस्क ग्रुप्स को वैक्सीन लगाने के लिए प्रयास भी तेज कर दिए हैं।
वहीं, चीन में तीन वैक्सीन अब तक इमरजेंसी अप्रूवल पा चुके हैं। यदि कोई लगाना चाहता है तो इन वैक्सीन को लगाकर कोविड-19 से बचाव सुनिश्चित कर सकता है। हालांकि, न तो चीनी वैक्सीन और न ही रूसी वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल्स अब तक पूरे हुए हैं। यूएई ने चीनी वैक्सीन को मंजूरी दी है।

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